सनातन संदेश-3

सभी व्यक्तियों और अभिभावकों से निवेदन है कि वह अपने बच्चों के व्यक्तित्व के विकास, चरित्र निर्माण एवं उनके चतुर्दिक उन्नति हेतु उनको नकारात्मक बातों से दूर रखें, जैसे अमुक व्यक्ति ने मेरे साथ धोखा किया है अथवा अमुक व्यक्ति से बदला लेना है। इससे क्या होता है कि बच्चों के अन्दर शुरू से बदले की भावना पनपती है और यदि वह बदला नही ले पाता तो उसके मन मस्तिष्क मे जीवन भर बदला न ले पाने का दुख रहता है और यह बदला लेने का सिल-सिला चलता रहता है। इसके विपरीत अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को अपनी क्षमता के अनुसार एक उचित माहौल प्रदान करे और बच्चों को हमेशा सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण रखें। उनके अन्दर कभी भी नकारात्मक न पनपने दें। व्यक्ति की सोच हमेशा सकारात्मक एवं आशावादी होनी चाहिए क्योंकि समय का स्वभाव है कि यह बदलता जरूर है। परिवर्तन संसार का नियम है तथा प्रगति तभी प्रगति है जब निरन्तर हो। कलम में तलवार से ज्यादा ताकत होती है। इस कलम रूपी तलवार से लोगों में परिवर्तन लाने की कोशिश कर रहा हँू जिससे समाज, राज्य एवं देश की निरन्तर प्रगति हो सके। देश में गरीबी, भ्रष्टाचार, बदहाली अशिक्षा, जातिवाद, कुसंस्कार, अन्ध-विश्वास, अन्याय, शोषण, विभेद से अभिशापित भारत भूमि का उद्धार करने हेतु नवयुवक, नवयुवती, नेतागण, उद्योगपति, विद्वान वर्ग सामाजिक कार्यकर्ताओं को गरीब एवं दलित लोगों से जुड़ना होगा, उनको गरीबी, अशिक्षा, भुखमरी, अन्याय विभेद आदि से मुक्त कराना होगा जिससे सम्पूर्ण भारत के लोग अपने स्तर से एक खुशहाल एवं समृद्ध भारत के निर्माण में योगदान दे सकें। उच्च कोटि का यह देश अपने अस्तित्व एवं अखण्डता को सुरक्षित रखने की लड़ाई लड़ रहा है। देश वासियों में उनका खोया हुआ आत्म-विश्वास जगाना होगा, अपना विकास करना होगा, परिवर्तन करना होगा । दुनिया भर में करूणा, दया, अध्यात्म , ममता एवं पूरे विश्व को एक परिवार मानने वाला यह देश स्वयं अपने देशवासियों के लिए करूणा की कमी क्यों महसूस कर रहा है? अगर हम सब भारत माँ की सन्तान हैं तो आपस में भाई-बहन हुए और फिर जाति-धर्म, ऊँच-नीच, धनी-निर्धन, शिक्षित-अशिक्षित आदि के आधार पर आपस में वैर-भाव नही होना चाहिए। अटल संकल्प एवं निरन्तर प्रयास से कोई भी व्यक्ति अपने निर्धारित क्षेत्र में लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।