यहां पर शरीर को नीरोग रखने हेतु कतिपय परीक्षित घरेलू नुस्खो ंका उल्लेख किया जा रहा है। ये सभी नुस्खे प्रमाणित पुस्तकों से संग्रह किये गये हैं लेकिन संग्रहकर्ता ने इनमें से ज्यादा तक का व्यक्तिगत रूप से कभी भी प्रयोग नही किया है।


कानदर्द

प्याज पीसकर उसका रस कपड़े से छान ले। फिर उसे गरम करके चार बूँद कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।


दाँतदर्द

हल्दी एवं सेंधा नमक महीन पीसकर, उसे शुद्ध सरसोें के तेल में मिलाकर सुबह-शाम मंजन करने से दाँतो का दर्द बंद हो जाता है।


बच्चों के पेट के कीड़ें

छोटे बच्चों के पेट में कीड़े हों तो सुबह एवं शाम को प्याज का रस गरम करके एक तोला पिलाने से कीड़े अवश्य मर जाते हैं। धतूरे के पत्तों का रस निकालकर उसे गरम करके गुदापर लगाने से चुन्ने (लघु कृमि)-से आराम हो जाता है।


गिल्टी का दर्द

प्याज पीसकर उसे गरम कर ले। फिर उसमें गो-मूत्र मिलाकर छोटी-सी टिकरी बना ले। उसे कपडे़ के सहारे गिल्टीपर बाँधने से गिल्टीका दर्द एवं गिल्टी समाप्त हो जाती है।


पेट के केंचुए एवं कीडे़

एक बड़ा चम्मच सेम के पत्तों का रस एवं शहद समभाग मिलाकर प्रातः मध्याह्न एवं सायं को पीने से पेटके केंचुए तथा कीड़े चार-पाँच दिन में मरकर बाहर निकल जाते हैं।


छोटे बच्चों (शिशुओं)-का वमन

पके हुए अनार के फलका रस कुनकुना गरम करके प्रातः, मध्याह्न एवं सायं को एक-एक चम्मच पिलाने से शिुशु वमन अवश्य बंद हो जाता है।


कब्ज दूर करने हेतु


(क) मेंथी के पत्तों की सब्जी खाने से कब्ज से छुटकारा मिल जाता है। पाँच-छः ग्राम सौंफ का चूर्ण रात्रि में शयनकाल में गरम जल अथवा दूध से कुछ दिनों तक सेवन करने से कब्ज दूर हो जाता है।

(ख) एक बड़े साइज का नीबू काटकर रात्रिभर ओस में पड़ा रहने दे। फिर प्रातःकाल एक गिलास चीनी के शरबत में उस नींबू को निचोड़कर तथा शरबत में नाममात्र का काला नमक डालकर पीने से कब्ज निश्चित रूप से दूर हो जाता है।


आग से जल जाने पर

कच्चे आलू को पीसकर रस निकाल ले, फिर जले हुए स्थान पर उस रस को लगाने से आराम हो जाता है। इसके अतिरिक्त इमली की छाल जलाकर उसका महीन चूर्ण बना ले, उस चूर्ण को गो-घृत में मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाने से आराम हो जाता है।


कान की फुंसी

लहसुन को सरसों के तेल में पकाकर, उस तेल को सुबह, दोपहर और शाम को कान में दो-दो बूँद डालने से कान के अंदर की फुंसी बह जाती है। अथवा बैठ जाती है, दर्द समाप्त हो जाता है।


कुकर-खाँसी

फिटकरी को तवेपर भून ले और उसे महीन पीस ले। तत्पश्चात् तीन रत्ती फिटकरी के चूर्ण में समभाग चीनी मिलाकर सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से कुकर-खाँसी ठीक हो जाती है।


पेशाब की कड़क तथा जलन

ताजे करेले को महीन-महीन काट ले। पुनः उसे हाथों से भली प्रकार मल दे। करेले का पानी स्टील या शीशे के पात्र में इकट्ठा करे। वही पानी पचास ग्राम की खुराक बनाकर तीन बार (सुबह, दोपहर और शाम) पीने से पेशाब की कड़क एवं जलन ठीक हो जाती है।


फोड़े

नीम की मुलायम पत्तियों को पीसकर गो-घृत में उसे पकाकर (कुछ गरम रूप में) फोड़े पर हल्के कपड़े के सहारे बाँधने से भयंकर एवं पुराने तथा असाध्य फोड़े भी ठीक हो जाते हैं।


पेशाब में चीनी (शक्का)

जामुन की गुठली सुखाकर महीन पीस डाले और उसे महीन कपड़े से छान ले। अठन्नीभर प्रतिदिन तीन बार (सुबह, दोपहर और शाम) ताजे जल के साथ लेने से पेशाब के साथ चीनी आनी बंद हो जाती है। इसके अतिरिक्त ताजे करेले का रस दो तोला नित्य पीने से उक्त रोग में लाभ होता है।


सर्प काटने पर

नीम का बीज, काली मिर्च एवं लाल रंगवाला सेंधा नमक सम (बराबर) मात्रा में पीसकर एक तोला भर लेकर शुद्ध गो-घृत के साथ लेने से सर्पविष निश्चित रूप से उतर जाता है।
सर्प काटने की पहचान-यदि सर्प काटने की आशंका हो तो उसके पहचान हेतु काटे हुए स्थान पर नींबू रस लगा दे । यदि वह स्थान काला (साँवला) पड़ जाय तो यह समझ ले कि सर्प काटा है, अन्यथा समझे कि सर्प ने नहीं काटा है।


बिच्छू के काटने (डंक मारने)-पर

(क) शुद्ध शहद के साथ लाल मिर्च पीसकर डंकवाले स्थान पर लगाने से बिच्छूका विष उतर जाता है।
(ख) डंक मारे गये स्थान पर खटाई एवं लहसुन पीसकर लगाने से लाभ होता है।
(ग) शहद में लाल मिर्च पीसकर उस स्थान पर लेप करने से बिच्छू का विष तुरंत उतर जाता है।
(घ) जहां पर बिच्छू डंक मारा हो, वहां मिट्टी का तेल मलने से जहर उतर जाता है।


अधकपारी का दर्द

तीन रत्ती कपूर तथा मलयागिरि चन्दन को गुलाब जल के साथ घिसकर (गुलाबजल की मात्रा कुछ अधिक रहे) नाक के द्वारा खींचने से अधकपारी दर्द अवश्य समाप्त हो जाता है।


खूनी दस्त

दो तोला जामुन की गुठली को ताजे पानी के साथ पीस-छानकर, चार-पाँच दिन सुबह एक गिलास पीने से खूनी दस्त बंद हो जाता है। इसमें चीनी या कोई अन्य पदार्थ नहीं मिलाना चाहिये।


जुकाम-

एक पाव गायका दूध गरम करके उसमें बारह दाना काली मिर्च एवं एक तोला मिóी -इन दोनों को पीसकर दूध में मिलाकर सोते समय रात को पी ले। पाँच दिन में जुकाम बिलकुल ठीक हो जायेगा अथवा एक तोला मिóी एवं आठ दाना कीली मिर्च ताजे पानी के साथ पीसकर गरम करके चायकी तरह पीये और पाँच दिन तक स्नान न करे।


उदर-विकार

अजवाइन, काली मिर्च एवं सेंधा नमक-इन तीनों को एक में ही मिलाकर चूर्ण बना लें। ये तीनों बराबर मात्रा में होन चाहिये। इस चूर्ण को प्रतिदिन नियमितरूप से रात को सोते समय गरम जल के साथ सेवन करने से (मात्रा अठन्नी भर) सभी प्रकार के उदर-रोग दूर हो जाते हैं।


मोटापा दूर करना

एक नींबू का रस एक गिलास जल में मिलाकर प्रतिदिन खालीपेट पीने से मोटापा दूर हो जाता है। ऐसा तीन महीने तक निरन्तर करना चाहिये। गरमी एवं बरसात के दिनों मे यह प्रयोग विशेष लाभदायक होता है।


छिपकली के काटने पर

(क) काटी हुई जगहपर शुद्ध सरसों के तेल में गोबर के कंडे की राख मिलाकर लगाने से छिपकली का विष पूर्णरूपेण प्रभावहीन हो जाता है।
(ख) काटी हुई जगह पर केसर और गरम जल मलने से अवश्य लाभ होता है।


भूलने की बीमारी

(क) पाँच बादाम एवं ग्यारह दाने काली मिर्च पीसकर नाममात्र चीनी मिलाकर आधा गिलास जल एवं एक कप दूध (गाय या भैस)- के साथ प्रतिदिन सुबह पीने से भूल जाने की बीमारी दूर हो जाती है।
(ख) बासी मुँह सुबह, शाम का रखा हुआ ताँबे के पात्र में पानी पीने से स्मरण-शक्ति में वृद्धि होती है।


ओठ फटना

नाभि एवं ओठ पर मक्खन तथा नमक मिलाकर लगाने से ओठोंका फटना बंद हो जाता है।


बालों को बढ़ना

(क) नींबू के रस में आँवला बारीक पीसकर बालों की जड़ों में लगाने से बाल बहुत ही जल्द बढ़ते हैं।
(ख) बेर के पत्ते एवं सीताफल के बीज जल के साथ बारीक पीसकर बालों की जडों में लगाने से बाल शीघ्र बढ़ने लगते हैं।


रूसी

सिरमें रूसी (डेण्ड्रफ) हो जाती है तो प्रायः अनेक उपचारों से ठीक नहीं हो पाती । बालों पर श्वेत अथवा मटमैले रंग के अत्यंत तनु सूक्ष्म पत्रक चिपके रहते हैं अथवा कंघी से झड़ते रहते हैं। अनकों उपचारों से यह रोग जड़ से नहीं मिटता है। ऐस रोगियों पर निम्न चिकित्साविधि अपनायी गयी-
(क) प्रथम किसी भी प्रकार के साबुन का प्रयोग सिर, चेहरे तथा गर्दन पर बंद कर दे।
(ख) 10-15 दिन सिरको रीठे के पानी या सत शिकाकाईसे धोना चाहिये।
(ग) मस्तक, चेहरे और गर्दन को स्नान से पूर्व ग्लिसरीन तथा गुलाबजल समभाग लेकर चुपड़कर 5 मिनट बाद धोना चाहिये। उसके बाद दही के मथित से सिरका अभ्यंग करे।


त्रिफला कल्प

हरड़, बहेड़ा, आँवला समभाग चूर्ण त्रिफला है- त्रिफला चूर्ण 3 गा्रम में 1 ग्राम तिल-तेल तथा 6 ग्राम मधु मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय ले, इससे पेट और धातु के समस्त रोग दूर हो जाते हैं।
कायाकल्प के लिये उपर्युक्त प्रयोग को 1 वर्ष तक निरन्तर धैर्यपूर्वक करना चाहिये। इसके सेवन से उदर रोग, कास-श्वास, पुरानी कब्ज आदि का नाश होकर शरीर शक्तिशाली एवं कान्तिमान् होता हेै।


ततैया का विष

ततैया के काटने पर पीले कागज को पानी में भिगोकर लगाये या नौसादर तथा चूना मिलाकर मल दे।


मकड़ी विष

मकड़ी विष पर नींबू के रस में चूना पीसकर मल दे।


टान्सिल बढ़ जाने पर

टान्सिल बढ़ जाने पर, गले में दर्द होने पर- गर्म पानी में फिटकरी, नमक डालकर गरारे करने से शीघ्र लाभ होता है।


कर्णपाक

हल्दी तथा भूनी फिटकरी समभाग में लेकर महीन पीसकर डालने से शीघ्र लाभ होता है।


कील मुहाँसे के लिये

नीबू का रस, बादाम का तेल और ग्लिसरीन -तीनों को समभाग लेकर शीशी में भरकर अच्छी तरह मिलाये और प्रतिदिन प्रातः-सायं मुखपर मले। इसके निरन्तर प्रयोग से कील, मुहांसे और झाइयाँ दूर हो जाती है।


बालों का झड़ना

कनेर की जड़ की छाल और लौकी 10-10 ग्राम प्रत्येक, दूध में पीसकर सिर पर लेप करे।


बिवाइयों का दर्द

10-10 ग्राम राल और घी, तीन ग्राम मोम ले। घी गरमकर मोम मिला लें। जब दोनों एकसार हो जायं तो राल मिला दे। रात्रि में पैर धोकर बिवाइयों में इसे भर ले। कुछ दिन में बिवाइयाँ ठीक हो जायेंगी।


ओठ फटने पर

सेंधा नमक और घी मिलाकर दिन में कई बार लगाने से ओठ फटना बंद हो जायेगा और कीड़े भी नष्ट हो जायेंगे।


काली खाँसी

काली खाँसी बच्चों को बहुधा होती है। भुनी हुई फिटकरी और चीनी एक-एक रत्ती लेकर शहद में घोलकर दिन में दो बार चटाने से लाभ होता है।


दाँत निकलना

बच्चों के दाँत निकलते समय उनके मसूड़ों पर आँवले का रस मलने से दाँत सुगमता से निकल आते हैं। गाय के दूध में सौंफ उबालकर अैर छानकर बोतल में रख लें। बच्चे को दिन में चार-पाँच बार एक-एक चम्मच पिलाने से दाँत सरलता से निकल आते हैं।


कृमिरोग

(क) दा लाल टमाटर ले। काली मिर्च, काला नमक, कलमी शोरा बारीक पीसकर कटे टमाटर पर छिड़क दे। प्रतिदिन सबेरे बासी मुँह छः दिन तक खायें। पेट के कीड़े मरकर बाहर निकल आयेंगे। आठ वर्ष से कम उम्रवाले बच्चे को आधा टमाटर ही दे।
(ख) नीम के पत्तों का रस मधु के साथ पीने से उदरस्थ कृमियों का नाश होता है।


बवासीर

(क) सूरन के टुकड़ों को पहले उबाल ले और फिर सुखाकर उनका चूर्ण बना ले। यह चूर्ण 320 ग्राम, चित्रक 160 ग्राम, सोंठ 40 ग्राम, काली मिर्च 20 ग्राम एवं गुड़ 1 किलोग्राम - इन सबको मिलाकर बेर-जैसी छोटी-छोटी गोलियाँ बना ले। प्रतिदिन प्रातः-सायं 3-3 गोलियाँ खानक सक बवासीर में लाभ होता है।
(ख) सूरन के टुकड़ों को भाप में पकाकर तथा तिल के तेल में बनायी गयी सब्जी का सेवन करने से एवं ऊपर से छाछ पीने से सभी प्रकार के बवासीर में लाभ होता है। यह प्रयोग तीस दिन तक करे।
(ग) करैले का रस खूनी बवासीर में लाभदायक है।
(घ) प्याज के रस में घी और चीनी मिलाकर खायें।


हिचकी

(क) मोर के पंख को जलाकर उसकी राख शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी तुरंत दूर होती है।
(ख) तीन चम्मच नींबू के रस में थोड़ा नमक मिलाकर पीने से हिचकी तुरंत दूर हो जाती है।
(ग) मूली का पत्ता चबाकर खायें।
(घ) दो तीन लौंग चबाकर थोड़ा पानी पी ले।


जीभ के छाले

टमाटर के रस में ताजा पानी मिलाकर कुल्ला करने से मुँह और जीभ के छाले ठीक हो जाते हैं।


मुँह की सुन्दरता

जीरे को उबालकर उस पानी से मुँह धोने पर मुखपर निखार आ जाता है।


गले का सूजना

गला बैठ जाय या सूज जाय तो ताजा पानी में नींबू निचोड़कर गरारे करने से लाभ होता है।


मूली का प्रयोग

प्रातःकाल मूली का प्रयोग हितकर है। दिन में खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है तथा रात को खाने से नुकसानदेह तथा जोड़ों में दर्द उत्पन्न करती है। मूली के साथ जो छोटे-छोटे पत्ते लगे होते हैं, वे भी खाने चाहिये। ये मूली पचाने में सहायक होते हैं।


खसरा

जिस बच्चे को खसरा निकला हो उसे सारे दिन किशमिश खिलाये। यह खसरे की चमत्कारी औषधि है।


मुँहासे

समान मात्रा में नींबू और तुलसी रस मिलाकर पूरे चेहरे पर लेप करे। तीन सप्ताह तक लगातार ऐसा करने से मुँहासे गायब हो जायेंगे।


मोतियाबिंद

तुलसी के रस में शहद मिलाकर प्रातः-सायं सलाई से आँखोेेेें में लगाये। मोतियाबिंद का जाला कच्चा होगा तो कटकर निकल जाएगा और अगर पकने लगा होगा तो पकाकर काट देगा।


फोड़ा

अलसी, कपड़ा धोने का साबुन का छोटा टुकड़ा, पिसी हल्दी तेल में पकाकर बाँधने से फोड़ा फूट जाता है।


पथरी का दर्द

यदि रोगी पथरी से तड़प रहा है और दर्द दूर नहीं हो पा रहा है तो आम के ताजे पत्तों को सुखाकर उन्हें पीसकर चूर्ण बना ले। इस चूर्ण को गरम जल के साथ दिन में तीन-चार बार फाँक ले। दर्द तो दूर होगा ही, सामान्य पथरी भी पेशाब के साथ बाहर निकल जायेगी।