अवतारी पुरूष जिन्होंने समाज को एक दिशा दी और सनातन धर्म को जीवित रखने का श्रेय इन्हीं महामानव को जाता है।
सन्त जिन्होंने अपना जीवन मानव-कल्याण का समर्पित किया।
सिख धर्म के दसवें एवं अन्तिम गुरू जिन्होंने धर्म की रक्षा हेतु महान बलिदान दिया।
दान के द्वारा हिन्दू विश्वविद्यालय जैसे संस्थान की स्थापना।
समाज सुधारक जिन्होंने भारत में प्रचलित सामाजिक कुरीति ’सती प्रथा’ का अन्त किया।
एक व्यक्तित्व जिसने अपनी संगठन क्षमता से अंग्रेजों सहित पूरे विश्व को अचम्भित कर दिया।
भारत का ऐसा वीर-पुरूष जिनके स्मरण मात्र से शरीर में ऊर्जा का संचार हो जाता है।
एक वीरांगना जो बेटी, पत्नी, माँ एव रानी का कर्तव्य निभाते हुए मात्र 23 वर्ष की उम्र में वीर गति को प्राप्त करते हुए अमर हो गयी।
एक बहादुर राजा जिनकी बहादुरी, निडरता, निष्पक्षता, चालाकी और कुटिलता अनुकरणीय है।
एक शिक्षक जिसने अखण्ड भारत की स्थापना की और साम-दाम दण्ड-भेद नीति का सफलता पूर्वक उपयोग किया।
ऐसा व्यक्तित्व जिसकी सरलता, सज्जनता, सहृदयता, ईमानदारी, मेहनत, कर्तव्य परायणता हमेशा प्रेरणा स्रोत रहेगी।
हिन्दुत्व का परचम विश्व-पटल पर सुशोभित किया।
कमाया, धन संचित किया और अब संचित धन को विश्व कल्याण हेतु उपयोग।
सम्पूर्ण विश्व को एक सूत्र में जोड़ने का प्लेट-फार्म उपलब्ध कराया।