अगर किसी देश को बर्वाद अथवा कमजोर करना है

उसे लड़ाई से नहीं किया जा सकता है बल्कि उसमें निन्न तीन बातें की जाती हैं।
1. शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्तीकरण।
2. सामाजिक, पारिवारिक, अध्यात्मिकता से संबन्धित ढाँचे पर प्रहार।
3.उनके पूर्वज, आदर्श पुरूष एवं प्रेरणा पुरूष का कमतर मूल्यांकन।
यदि हम भारत वर्ष के सन्दर्भ में उपर्युक्त तीन बातों का विश्लेषण करें तो उपर्युक्त तीन बातें पूर्णतया लागू होती है। भारत में सबसे पहले उपलब्ध शिक्षा सामग्री को नष्ट किया गया । उदाहरण स्वरूप तक्षशिला एवं नालन्दा जैसे विश्वविद्यालय को जलाया गया, गुरूकुल शिक्षा पद्धति का कमतर मूल्यांकन किया गया, मन्दिर आदि संस्थान को नष्ट किया गया, संयुक्त हिन्दू परिवार की व्यवस्था को विकास से जोड़कर कि संयुक्त हिन्दू परिवार होने से प्रत्येक सदस्य का उचित विकास संभव नहीं है ऐसा लोगों को समझाया गया और आज हम देखते हैं कि एकाकी परिवार में कोई मद्दगार नहीं मिलता, भारतीय विद्वानों से विदेशी विद्वान श्रेष्ठ हैं ऐसा लोगों में विश्वास पैदा किया, मिशनरी शिक्षा प्रणाली बेहतर है यहां तक की अंग्रेजी को रोजी-रोटी की भाषा बनाया गया, हमारे पूर्वज, हमारे आदर्श, हमारे विद्वान हमारे योद्धा आदि के जीवन परिचय को शिक्षा पाठ्य-क्रम से अलग किया गया। यही नहीं, भारतीय इतिहास को असत्य लिखा गया और भारतीय योद्धाओं एवं वीरों से ज्यादा विदेशी आक्रांताओं का महिमा मण्डन किया गया और इस प्रकार भारतीय संस्कृति पूर्णतया प्रभावित हुयी और यही कारण है कि हमारे लोगों द्वारा हिन्दू नववर्ष उतनी धूम-धाम से नहीं मनाय जाता है जितना कि अंग्रेजी नववर्ष 1 जनवरी मनाय जाता है। इसमें हमारे बच्चों का दोष नहीं है क्योंकि हम लोग उनको शिक्षित नहीं कर पाये और वह अपनी संस्कृति उच्चकोटि के संस्कार, सभ्यता, आदर्श, समाज से दूर होते जा रहें है। सनातन काम का उद्देश्य विश्व को ेेेे भारतीय संस्कृति, सभ्यता एवं आदर्श से परिचय कराना और इसको अंगीकार करने का कार्य पूर्णतया लोगों के विवके पर छोड़ देना है।