मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

प्रश्न यह उठता है कि क्या ऊपर लिखित वाक्य सिर्फ गाने के लिए है या हमें इसका पालन करना चाहिए? आज विश्व की जितनी भी समस्याएं हैं, उसमें ’धर्म’ भी एक समस्या है क्योंकि विश्व में धर्म के आधार पर बहुत लड़ाइयाँ लड़ी गयीं, भीषण नर संहार हुआ, कत्ले-आम हुआ और आज भी यदि धर्म के आधार पर हो रहे घटना क्रम का विश्लेषण करें तो धर्म के कारण हो रही मार-काट को कोई नकार नहीं सकता जैसे, भारत में कश्मीरी पण्डितों का धर्म के आधार पर पलायन, 1947 में भारत-पाक विभाजन के समय हिन्दुओं कत्ले-आम, इराक में चालीस भारतीयों की हत्या, न्यूजीलैण्ड में मस्जिद में हत्या आदि जैसे अनगिनत उदाहरण मिल जायेंगे। मेरी जानकारी में विश्व में ऐसा कोई ’धर्म’ नहीं है जो मार-काट, सामूहिक हत्या, बर्वरता, लूट-पाट, विध्वंस आदि की इजाजत देता है लेकिन सम्पूर्ण-विश्व इस तरह की वेदनाओं से पीड़ित है। आखिर वे कौन लोग हैं जो इस बात की इजाजत देते हैं? धार्मिकता के आँचल से संरक्षित करते हैं और सम्पूर्ण विश्व में शान्ति का हरण किया हुआ है। यह एक सोचनीय प्रश्न एवं विषय है। जब हम एक सूरज, एक चन्द्रमा एक पृथ्वी, एक आकाश एक ही ग्रह-नक्षत्र के संरक्षण में है तो सम्पूर्ण विश्व एक परिवार क्यों नहीं हो सकता? सनातन धर्म का सन्देश कि सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है (The whole world is one family) का सिद्धांत का पूर्णतया पालन होना चाहिए तभी विश्व में शान्ति, सुख समृद्धि की स्थापना हो सकती है। यह विश्व कल्याण की तरफ एक कदम होगा, जिसकी आज सम्पूर्ण विश्व को अत्यंत आवश्यकता है।