डा. सत्यसेन वसु एक वैज्ञानिक थे। वे विश्वभारती शांति निकेतन के कुलपति थे। विश्वभारती में एक बार तत्कालील राष्ट्रपति डाॅ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के आगमन हुआ। उनके स्वागत में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया। डाॅ. वसु एक रिक्शे में बैठकर सभास्थल गए। वह एक जनसभा थी। दूसरे सिद्धांततः डाॅ. वसु सरकारी वाहन का दुरूपयोग नहीं करते थे। वहां राष्ट्रपति की सुरक्षा हेतु नियुक्त सुरक्षा गार्ड उन्हें पहचानते नहीं थे। रिक्शे को रास्ते में रोक दिया गया। वे चुपचाप उतरकर पैदल सभास्थल की ओर चल पड़े । जब मंच के समीप पहुंचने के बाद चढ़ने लगे तो फिर सुरक्षागार्ड ने रोक दिया। तब उन्होंने न तो अपना पद बताया, न अपने नाम के आगे ’डाक्टर’ लगाया। गार्ड ने श्रोताओं के बीच बैठने का इशारा किया। सहज भाव से वे उधर बैठने चले गए। डाॅ. राधाकृष्णन ने मंच से उन्हें देखा। वे उन्हें देखते ही नीचे उतर आए एवं उन्हें ऊपर ले गए। दोनों ही नामी, किंतु कितनी सरल हस्तियां! भारत का एक सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक, पर कितना विनम्र!